
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जुड़ी ताज़ा घटनाओं पर। हाल ही में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उनके रायपुर और भिलाई स्थित आवासों पर छापेमारी की है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह मामला क्या है, इसके पीछे के कारण क्या हैं, और इसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि क्या है।
क्या हुआ?
आज सुबह, CBI ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर और भिलाई स्थित निवासों पर छापेमारी की। इसके अलावा, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और बघेल के एक करीबी सहयोगी के परिसरों में भी तलाशी ली गई।
यह छापेमारी क्यों की गई?
CBI की यह कार्रवाई महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप से जुड़े मामले की जांच के तहत की गई है। इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में बघेल के आवास पर छापेमारी की थी और आरोप लगाया था कि इस सट्टेबाजी सिंडिकेट ने हजारों करोड़ रुपये का अवैध लेन-देन किया है।

भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया क्या है?
छापेमारी के तुरंत बाद, भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आज उन्हें अहमदाबाद में होने वाली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक के लिए दिल्ली जाना था, लेकिन उससे पहले ही CBI उनके घर पहुंच गई।
अब CBI आई है.
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 26, 2025
आगामी 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद (गुजरात) में होने वाली AICC की बैठक के लिए गठित “ड्राफ़्टिंग कमेटी” की मीटिंग के लिए आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दिल्ली जाने का कार्यक्रम है.
उससे पूर्व ही CBI रायपुर और भिलाई निवास पहुँच चुकी है.
(कार्यालय-भूपेश बघेल)
राजनीतिक दृष्टिकोण से यह क्यों महत्वपूर्ण है?
यह छापेमारी ऐसे समय में हुई है जब बघेल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में पंजाब के प्रभारी हैं। कांग्रेस पार्टी ने इस कार्रवाई की निंदा की है और इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। राज्य कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यह कार्रवाई भाजपा सरकार की डर को दर्शाती है।
महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप मामला क्या है?

महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप एक अवैध सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म है, जिसके माध्यम से क्रिकेट, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों पर सट्टा लगाया जाता था। ED के अनुसार, इस सिंडिकेट ने लगभग ₹6,000 करोड़ का अवैध लेन-देन किया है, और इसके प्रमोटरों ने विभिन्न अधिकारियों और राजनीतिक व्यक्तियों को रिश्वत दी है।
यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। जहां एक ओर जांच एजेंसियां अपनी कार्रवाई कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देख रहे हैं। आगे की जांच और अदालती प्रक्रियाओं से ही सच्चाई सामने आएगी।